जन्मां दे करके वादे, सानू खाक बना छड गयां,
उंज तां कहंदी सी यारी पक्की साडी, जला के सानू तूं क्यों विगर गयां,
रिजां की करिये हुन तों रिजां वी भूल गये, उडीकां पा के सानू चल गयां,
खुशी-खुशी तू चली गयीं, गमां दे पल्ले सानू बंध छडया,
जदों निकलया जनाजा साडा, मेंहदी हथ ला नेडे तों गजर गयां,
सवालां दी छडी दा कि करिए, मजाक बना के साडा तूर गयां,
एक फूल चढा के कब्र साडी, दुख दोबारा गहरा छडया,
पाक साफ दामन करके अपना
मुहब्बत करन दा जुर्म सानू ला छडया
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चर्चा मंच-743:चर्चाकार-दिलबाग विर्क